सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥
अर्थ: हे भगवन, देवताओं ने जब भी आपको पुकारा है, तुरंत आपने उनके दुखों का निवारण किया। तारक जैसे राक्षस के उत्पात से परेशान देवताओं ने जब आपकी शरण ली, आपकी गुहार लगाई।
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समझनी है जिंदगी तो पीछे देखो, जीनी है जिंदगी तो आगे more info देखो…।
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥ आप जलंधर असुर संहारा ।
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय तुलसी भगवती सत्यवती सुखदानी। नमो नमो more info हरि प्रेयसी श्री वृन्दा गुन खानी॥
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान ।
बृहस्पतिदेव की कथा
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
सांचों थारो नाम हैं सांचों दरबार हैं - भजन